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Monday 18 March 2013

Moon Chandra in Lal Kitab

चन्द्र लाल किताब 
 आयु की किश्ती का समुंद्र, जंगल की धरती माता, दयालु शिवजी भोले नाथ 

  बढे दिल मुहब्बत जो पाँव पकडती, उम्र नहर तेरी चले जर उछलती। 


दिल का स्वामी चन्द्र है जो की सूर्य से रौशनी लेता है और संसार में उसका छोटा राजा है।सूर्य चाहे कितना ही गर्म होकर आज्ञा दे लेकिन चन्द्र उसे ठन्डे दिल और शांति से पूरा करता है।और सदा सूर्य के पैरो में रहना पसंद करता है।  चन्द्र का घर चाहे हथेली में सूर्य से दूर है मगर दिल रेखा सूर्य के पाँव में ही बहती है। स्त्री (शुक्र), माई (चन्द्र), साले बहनोई (मंगल नेक), और अपने भाई (मंगल बद), गुरु तथा पिता (बृहस्पत) सबके सब इस दिल के दरिया या चन्द्र रेखा की यात्रा पर आते है। जो सूर्य की चमक से दबी हुई आँखों (शनि) और दिमाग(बुध) को शांति ठंडक (चन्द्र का प्रभाव) देती है। या यूँ कह सकते है कि इस दिल के दरिया के एस किनारे एक संसार के सभी सम्बन्धी और दुसरी और मनुष्य का अपना शरीर तक आत्मा(सूर्य) और आंखे (शनि), सर (बुध) बैठे है। और दिल रेखा उन दोनों के बीच चलते हुई दोनों और से अपनी शक्ति से आयु बढ़ा रही है। या मनुष्य के शरीर को बृहस्पत की  हवा के सांस से हिलता रखने वाले चीज वाही दिल रेखा है। अतः कईओ ने दिल रेखा को आयु रेखा भी माना है। और इसके मालिक चन्द्र की कील से आयु के तालो की हद बंदी बाँधी है।        

चाँदी की तरह चमकती चांदनी रात चन्द्र का राज्य है जिसके शुरू में राहु और अंत में केतु और बीच में शनि स्वयं रखवाला है। याने पापी तीनो एक साथ अपनी जन्म वाली और जगत माता के ही दरबार में हर एक के आराम और स्वयं माता के अपने दुश में जहर डालने की शरारतो के लिए तैयार रहते है। बेशक ढूध और जहर (पापी) मिल रहे है फ्हिर भी दरिया दिल चन्द्र माता संसार में समुन्द्र के पानी में सूर्य की परछाई अवश्य होगी। जिसकी शरारत के लिए संसार की हवा या मनुष्य की साँस का स्वामी (बृहस्पत) हर तरह विराजमान है।   

फटा ढूध क्या दही बना सकता है? पानी की बर्फ काम देगी जब तलक के वो आसमानी रंग की न हो। 

राहु - शनि - केतु और चांदनी रात का मेल अजीब है।

चन्द्र का समय यानी गुरु-सूर्य और अंत में खुद चन्द्र।  

चन्द्र नं ३ मैदानी जंग में विजय 
चन्द्र नं ७ धन दौलत अन्न की देवी 
चन्द्र नं ८ सोया हुआ भी उत्तम और लम्बी आयु दे मौत से बचाए।

खाना नं ४ खाली तो उत्तम फल।  
कष्ट का समय कुल खानदान पर कभी न होगा। केवल एक पर मंदा होगा।
गुरु पहले घरो और केतु बाद के घरो में तो चन्द्र का फल मंदा पर गर बुद्ध ठीक हो तो चन्द्र चाहे  सोया हो पर जागते घोड़े की तरह उत्तम फल देगा.
शुक्र देखे चन्द्र को स्त्रियो की उल्ट राय होगी विरोध होगा 
चन्द्र देखे शुक्र को तो फ़कीर कमाल का सब नशे बाजी का सरदार होगा। 
जैसे भी सूर्य हो उसका असर चन्द्र में मिला होगा और मंगल बद कोसो दूर भागता होगा 
चन्द्र के घर अकेला बैठ ग्रह हमेशा उत्तम फल देगा और जब नं ४ खाली तो चन्द्र का फल उत्तम। 
पाँव छू कर आशीर्वाद लेना चन्द्र का सबसे उत्तम उपाय है

चन्द्र बुध से पहले तो चन्द्र का प्रभाव बुध पर प्रबल होगा।  छुपा हाल उत्तम पर सांसारिक हाल दोनों का मंदा होगा। 

बुध चन्द्र से पहले तो बुध का प्रभाव चन्द्र पर प्रबल होगा। दिल का सम्बन्ध अच्छा न होगा और आत्महत्या तक की नौबत होगी। 

बुध की चन्द्र पर सौ फीसदी दृष्टि हो तो अति  हानिकारक। पोडियो के सामने कुआँ खराबी का साबुत होगा। 
पचास फीसदी दृष्टि हो तो बहुत हानिकारक 
पच्चीस फीसदी दृष्टि तो मामूली हानिकारक
 पर धन की कमी तीनो हालात में न होगी। 

दोनों एक दुसरे के घर में अकेले हो तो नेक पर साथी तो हानिकारक। (४-७)

चन्द्र से शनि का सम्बन्ध 

चन्द्र देखे शनि को तो शनि का मंदा पर चन्द्र का उत्तम फल होगा 
शनि देखे चन्द्र को तो चन्द्र बर्बाद पर शनि का उत्तम फल पैदा होगा। 
दोनों साथ के घरो में तो ठीक जब तक दोनों को टेवे वाला खुद ही न मिलने दे जैसे कुआँ की दिवार फाड़  कर मकान बनाना आदि।  तो होगा क्या की माता मरे, दौलत संतान समाप्त, टेवे वाला खुद अधरंग से  नाकारा हो जाए। 

चन्द्र जब पाप-पापी-शत्रु से खराब हो तो शुक्र भी खराब होगा। 

पापी टोला ढूध में जहर मिलाता है और चन्द्र का उपाय ही कामा आता है। जब यह शत्रु ग्रह को देखता हो तो अपना शुभ असर बंद कर देता है। 

सूर्य मंगल इकट्ठे हो तो चन्द्र का फल शुभ नहीं होता 
चन्द्र देखे गुरु को और गुरु के घरो में उसके (गुरु के) पापी - शत्रु हो तो चन्द्र का फल मंदा 

चन्द्र का पानी और विद्या कैसी होगी अलग अलग खानों में : 

                              पानी                                         विद्या 

खाना नं १       घर में रखे घड़े का अच्छा पानी        विद्या पर लगाया पैसा बर्बाद न होग. विद्या सहायक होगी                                                                                 और राजदरबार में लाभ होगा    
       
खाना नं २      पहाड़ से जोर से निकलता पानी        माता विद्या जायदाद जद्दी और नकद नारायण में से एक का पूरा पूरा फल होगा। माता के होते विद्या होगी जिसकी दरिया की बाढ़ बुध की हदबन्धी होगी। पिता या बाबा से कोई शर्त नहीं।  विद्या से लाभ की भी शर्त नहीं जेसे स्कूल मास्टरी पर चन्द्र के काम जेसे घोडे, चांदी सिचाई आदि लाभ देगे। 

खाना नं ३       जंगल सहारा या रेगिस्तान का पानी            जिस कदर विद्या बढे पिता की माली हालत कमजोर होती जाए। मगर विद्या रूकती नहीं। विद्या अपनी कीमत जरूर देगी। जब तक दरिया पर पुल हो याने केतु चन्द्र को बर्बाद न करे। वर्ना माता ही पिता का काम देगी ज्यो ज्यो आयु बढे, विद्या की कीमत कम होती जाए। या ऐसा व्यक्ति विद्या विभाग में होता हुआ ऊपर से नीचे को गिरेगा। विद्या से कमाया धन घर बार के कामो में तरक्की कम ही देगा। 

खाना नं ४    चश्मा का मीठा पानी           विद्या हरदम सहायक और विद्या पूरी होने में हर और से सहायता मिले। चाहे कैसी भी विद्या मांगे। सुख देने वाले विद्या माता के असली खून का सबूत होगी। 

खाना नं ५   आबादी को हरा भरा करने वाली नदी    विद्या पर लगाया धन पूरी कीमत न देगा पर ऐसा व्यक्ति बच्चो की विद्या, तकनीकी विद्या की डिग्री का  स्वामी होगा। पर विद्या डिग्री की कीमत न मिलेगी। यानी विद्या की नदी का पानी आम लोगो में पूजने की जगह टट्टी पेशाब धोने के काम आयगा। आम लोगो का भला करते हुए भी उसका कोई भला न करेगा। सम्बन्धी दुनियावी साथी नदी मरम्मत का ख्याल न करेगे पर मंदा जरूर करेगे। अपने लिए विद्या व्यर्थ न होगी। याने अपना मन न के बराबर और विद्या अपनी कीमत कुछ भी न देगी चाहे कितना भी विद्वान हो। 

खाना नं ६ : पाताल का पानी कुआँ हैंडपंप    विद्या सहायक होगी पर लेकिन मूल्य और खर्च पर और कष्ट सहने पड़ेगे। 

खाना नं ७ : मैदान और खेती को हरा भरा करने वाले नदी। शादी होने से पहले विद्या पूरी कर लेगा या विद्या चलती रहेगी तो शादी रुकी रहेगी। लेकिन विद्या होगी काम की। बेशक थोडे दर्जे की क्यों न हो। ढूध तो होगा पर बकरी का। और विद्या भी बकरी के ढूध जैसी - जैसी बकरी दूध देते वक्त करती है की हालत वाली विद्या होगी पर माली हालत अच्छी होगी याने चाहे बकरों का ढूध पर बिकेगा चांदी के भाव ही। मनुष्य स्वयं लक्ष्मी का अवतार होगा। 

खाना नं ८ : अमृत या जहर     विद्या हुई तो माता को तरसते रहे (माता मर जाए ऐसा नहीं). माता हुई तो विद्या नहीं। अब दूध सुखे दूध की तरह होगा पर उसमे दूध की सब सिफते पूरी होगी। पढ़ेगा तो पूरा वर्ना संतान को भी पढने से रोकता रहे। या वो दोनों को ही तरसते मर जाए।


खाना नं ९ : समुंदर                सबको आराम देने की विद्या का स्वामी। मगर स्वयं विद्वान् होने की शर्त नहीं। लेकिन अनपढ़ होने की शर्त नहीं। फिर भी सुख का मालिक राजा इंद्र की तरह सबका दाता होगा। 

खाना नं १०         पहाड़ की रूकावट से रुका पानी।        दुसरो को क्या पढाना खुद ही विद्या रहित। यहाँ तक की पढाने वाले को पानी मांगने पर पत्थर से जवाब दे। विद्या में हर और से पत्थर की रूकावट। मगर खुश्क दवाईओ की हकीमी और प्रयोग की इल्म का वाकिफ। गर खाना नं ८ मंदा हो तो हमेशा हर जगह सम्मान की जगह मुहँ काला होता रहे पर अगर खाना नं २ अच्छा तो दो गुना अच्छा। 

खाना नं ११ :   बरसाती नाला      पढ़ेगा पूरा वर्ना अनपढ़। वही लाभ हानि विद्या का होगा। 

खाना नं १२ : आसमानी पानी ओले बर्फ आदि, पाखाना बंद, गन्दी नाली, बंद रुका पानी

यदि पापी मंदे तो मंदी लहर यानी ज्यो ज्यो विद्या बढ़े घर बार उजड़ता जावे वर्ना यदि सूर्य नेक गुरु उत्तम हो तो ऐसा नेक पानी जिसमे गंदगी का नाम न हो और पानी साफ़ होगा जो की एक बंद साफ़ नाली या खाली जगह में गुजर रहा हो। अगर आसमान से गिरे तो बर्फ बन जाए। मिटटी और गंदगी से दूर रहेगा तो भी अंत में पानी से बदलकर दूध ही होगा। बेशक भार और शक्ल में बदली हो जाए याने विद्या छोटी हो या बड़ी मगर उसके द्वारा विद्या के आराम और सुख में पानी की हैसीयत होते हुए भी दूध की तासीर और रंगत होगी या साधू की समाधी के लिए मिटटी की जगह या चांदी का फर्श हाजिर होगा या वह और इसकी विद्या चाँदी की भी परवाह न करेगी मगर सोने की रंगत में झलकती होगी या लिखे न पढे नाम मोहम्मद फ़ाजिल। पढे या न पढे मगर पढ़े हुए का बाप जरूर होगा और विद्या की कीमत हो या न हो मगर मुफ्त की दुकानदारी में पूरे दर्ज की तालीम की कीमत हासिल कर लेगा।         

         
 चन्द्र लाल किताब 
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