राहु लाल किताब
राहु मंदा तो दक्षिण मकान हद से जयादा मंदा होगा। धन की भारी हानि और यहाँ तक की हाथी चींटी से मर जाए। गर चन्द्र या खाना नं ४ अच्छा तो राहु मंदा न होगा। चन्द्र का उपाय जरूरी होगा।
मंगल १२ या ३ या सूर्य + बुध नं ३ तो राहु मंदा न होगा। गोया सूर्य + बुध नं ३ क्यों? :)
राहु नं ४ अकेला मंदा नहीं होता।
दुनिया के फर्जी डर का सोच विचार, जागते दिमाग के कयासी ख्याल की नकली लहर , खराबी का
४२ साल का समय राहु का होगा।
सब कुछ होते हुए भी कुछ न होना राहु शरीफ की वास्तविकता है। दिमागी लहर का स्वामी, सब शत्रुओ से बचाव और उसका नाश करने वाला है।
आम हालत १ २ घर
हाथी तख़्त पर ग्रहण रवि का , दसवे शक्की खुद होता है।
लेख पगूडा गुरु मंदिर का, रोता गुरु घर १ १ हो।
आयु धन का राखा तीजे, गोली पक्का बंदूकची हो।
पाप कसम वो करता चौथे, संतान बची न पांच की हो।
धुआँ बुध शुक्र सातवे उड़ता, कटती फाँसी घर ६ से हो।
मौत नकारा घर ८ वे बनता, जहरी चन्द्र जब सांप से हो।
जले धर्म ९ राहु भट्टी, पर शफा पागल को देता हो।
लाख उमींदे १२ फर्जी, हाथी खर्च न रुकता हो।
सफ़ेद रंग का मानिंद हाथी फूंक मार कर नीला हो चुके शरीर को ठीक कर सकता है. :)
आसमान का गुम्बद और समुंद्र दोनों ही नीले है। जब दोनों और का नीलापन मदद पर हो तो संसार उसके सामने झुक जाता है। मंगल के साथ या दृष्टि होने पर तो गोया केतु का असर होगा।
जब टेवे में मंगल नेक + शनि तो क्या कहना; माशाल्लाह! गर सूर्य + बुध खाना नं ३, राहु नं ४, या उत्तम तो ऐसी किस्मत का मालिक की पूछो मत। मंगल १ २ हो तो भी राहु नेक होता है।
मंगल बद जो लिखावे और शनि जो लिखे उसे स्वप्न में जान लेने की शक्ति राहु में है यानी वो पहले ही जान लेगा।
गर राहु शनि के बाद के घरो में तो शनि का हुक्म चलता है पर शनि से पहले तो खुद हाकिम होगा और यहाँ तक की शनि को हुक्म देगा।
चन्द्र के साथ मानो बंधा हुआ हाथी।
सूर्य के साथ तो ग्रहण तो है पर स्वयं हिलने वाला हाथी यानी मंदा फल अपना भी। गुरु के शेर - साधू को दमा कोढ़ देगा, मगर बुध के पक्षी और शनि के कौवे को न सिर्फ उड़ने की शक्ति देगा बल्कि उच्च कर देगा। एक और राहु शुक्र का जानी शत्रु और केतु को रास्ता दिखाने वाला सरदार तो दूसरी और साँप की मणि और मँगल के महावत के साथ शेरो का शिकारी हाथी।
राहु का मंदा असर ४ २ वर्ष बाद जा कर ख़त्म होगा और फ़ालतू धन, सांसारिक आराम, बरकत होगी।
कड़कती बिजली, भूचाल, आग का लावा, पाप की एजेंसी में बड़ी का स्वामी, हर मंदे काम में मौत का बहाना घड़ने वाली शक्ति, ठगी, चोरी, अय्यारी का सरगना, आनन फानन में चोट मार के नीले रंग कर देने वाली छुपी लहर का नामी फ़रिश्ता कभी छुपा नहीं रहता।
सूर्य + शुक्र मुश्तरका अमूमन राहु नेक नहीं होता और जब शनि + सूर्य हो और मंदे भी हो गोया राहु नीच और मंगल बद। बेडा गर्क।
केतु पहले और राहु बाद में अच्छा नहीं मानते है। राहु यहाँ मंदा और केतु सिफर होगा।
राहु शत्रु ग्रह को साथ लेकर केतु को देखे तो केतु का फल मंदा। पूरा मंदा सब और से। सब कारक।
सूर्य देखे राहु या सूर्य साथी राहु तो साथ वाले घर का हाल भी मंदा होगा।
मंदे राहु के समय क्या करे?
जब चन्द्र खराब हो यानी मन अशांत हो तो चन्द्र का उपाय करे. चाँदी हमेशा डाल कर रखे
दाल मसूर भंगी को प्रातः दे। या पैसा खैरात।
मरीज के वजन के बराबर जौ (अनाज कनक जौ) चलते पानी में बहा दे।
जौ रात्रि सिरहाने रख कर प्रातः जानवरों - गरीब को बाँट दे।
राजदरबार या व्यापार के झगडे, और शनि के समय, कच्चा कोयला वजन बराबर दरिया में बहा दे।
राहु लाल किताब
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