राहू खाना नंबर 11
हलफ* से जो बाते करते, है यकीन होता नहीं। *शपथ
राहू 11 आ जो बैठे, बृहस्पति वां होता नहीं।
बृहस्पति भागे पापी भागे, भागता संसार है।
शनि गर हो तीजे 5 वें, योगी अलंकार* है। * आभूषण
एक से 11 हुए तो, पापी होगें आप से।
धन ना चाहे माँ से अपनी, न ही लेगें बाप से।
6 ग्रह ही मुर्दा होवे, पापी यहाँ मरते नहीं।
जिस को तारे पूरा तारें, धोका वो करते नहीं।
बडे नाम बदनाम जब सीनाजोरी, कसम खा के बेचेगे सब माल चोरी।
जन्म दुनिया बिता होते, बाप वहां रहता नहीं।
राहु टेवे चमक देवे, बृहस्पति वहां होता नहीं।
बृहस्पति भागा पापी भागे, भागता संसार है।
शनि बैठा 5 तीजे, योगी अलंकार* है। *आभूषण
एक तीजे पापी बैठे, राहु बढता आप-से।
धन न मांगे माँ से अपनी, न ही लेगा बाप से।
उम्र पिता सुख सागर उसका, न ही दौलत धन मिलता हो।
औलाद केतु दरवेश हो मंदा, वक्त गुरु तक उम्दा हो।
धर्म मंदिर और दान हमेशा, चलती हवा या पानी हो।
बंद पड़ा धन दौलत सड़ता, जजिया मरीज़ प्राणी हो।
पंडित रूप चंद जोशी जी कहते है कि पुरुष के टेवे मे बृहस्पति बाप दादा तो स्त्री के टेवे मे ससुर यानी पुरुष का बाप।
चाहे बाबा अर्थात पिता अक्सर नहीं रहा करता पर पिता की आयु तक धन के लिये अच्छा प्रभाव देगा। पिता के बाद सोना धारण करना शुभ बल्कि जरूरी होगा।
जब शनि - केतु खाना नंबर 1 / 3 मे हो तो जातक की शक्ति और भाग्य स्वयं बढता ही जायेगा। धन माता पिता से न मांगेगा। न धोखा देगा। स्वयं की शक्ति से अमीर बनेगा।
अगर यह राहु खाना नंबर 11 मे मंदा हो तो इस जातक के जन्म के बाद परिवार का बंद पड़ा धन दौलत सब बर्बाद होगा। फिजूल खर्च, आग, साँप की घटना, नाहक जुर्माना, मरीजों बीमारियों पर खर्चा होगा। अपने से (सबसे पहले मीन्स इमीडियेट बॉस) बडे अधिकारी से बेवजह झगडा, नाराजगी,
फिर नुक्सान होगा।
खाना नंबर दो का भी बुरा हाल होगा अर्थात जन्म से शुरू हो कर 36 साल आते आते हाथी (धन का) सिफर याने शून्य होगा। ससुराल का हाल बुरा होगा। पुराने और जन्म समय के बने हुए काम सब धीरे धीरे बिगड़ जायगे।
माता के गर्भ मे आते ही हो सकता है की टेवे वाले का पिता किसी हादसे माय मारा जाए। अमूमन 11 मास, 11 साल या कुल 21 (16 से 21) की आयु तक बृहस्पति बर्बाद। बृहस्पति से सम्बंधित काम भी बेकार। अगर कुछ बच जाए तो भी सोना खाख ही होगा। कर्जा लेने वाला कर्ज चुकाने से पहले मर लेगा। या फफिर आग - चोरी आदि से नुक्सान होगा।
पिता, नाना, ससुर की दौलत, आयु सुख सब ख़त्म होगा।
अपनी कमाई के फालतू धन का फैसला खान नंबर तीन के ग्रह से होगा। राहु की बिजली के वक्त बृहस्पति बर्बाद होगा। खाना नंबर 5 का फल पढे।
जिस तरह बईमान की शपथ का कोई यकीन नहीं करता ठीक उसी प्रकार इस राहु का कुछ पता नहीं के कब बृहस्पति (पिता) पर अपनी चोट मारेगा।
केतु दरवेश (औलाद) और शनि (काम-सम्बन्धी-नज़र आदि) का फल भी मंदा होगा, बल्कि खुद बृहस्पति (पिता) की आयु तक मन्द होगा। किन्तु अगर बृहस्पति किसी दूसरी वजह से अच्छा हो रहा हो, यानि किसरी दुसरे ग्रह की मदद आदि से, तो यह सब मंदी हालत टेवे वाले पर स्वयं होगे। जैसे अल्पायु, सोना बर्बाद आदि। बाप की जगह नाना या ससुर भी हो सकता है। राहू खाना नंबर 11 मे बाप-दादा-पोता एक साथ इस दुनिया मे ज्यादा नहीं चल सकते। जुदाई अवश्य होगी और अक्सर जल्दी होगी।
धर्म मंदिर और दान हमेशा सहायक होगे। बृहस्पति कायम रखना बहुत जरूरी होगा। जिस्म पर राहु की चीजे जैसे पुलिस की वर्दी - हथियार बेवजह ( ड्यूटी यूनिफार्म का वहम नहीं), नीले कपडे, नीलम आदि या बिजली का सामान, राहु के काम या सम्बन्ध बृहस्पति को बर्बाद करेगा।
भंगी को बतॊर खैरात कभी कभी पैसा देना सहायक होगा। अगर बृहस्पति भी 11 / 3 माय आ जाय तो लोहा धारण करना शुभ होगा। चाँदी के गिलास मे पानी पीना शुभ। अगर सिगरेट पीते है तो चांदी की नाली से पीना शुभ होगा।
मंगल खाना नंबर 3 मे हो तो भाई की गर्दन बर्बाद और ताया लावाल्द या लंगड़ा होगा।
खाना नंबर पांच का केतु बर्बाद होगा। नर संतान, कान, पैर, रीढ़ की हड्डी, पेशाब की नाली, घुटना, पाँव, सफ़र ख़राब, केतु के रिश्तेदार मामू खानदान, केतु के काम से हानि होगी।
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