राहू खाना नंबर 2 लाल किताब
Original phrases of Lal Kitab
उम्र गुजरी मंदिर जो मुफ्त
माल खाते, मिले दिल कहाँ फिर जो खैरात बाटें।
लेख पंगूड़ा 2-8 घूमे, मिटटी सोना दो मिलता हो।
भूचाल माया जर चन्द्र रोके, राजा सुखी वो होता हो।
उम्र लम्बी गुजरान हो उम्दा,
जगतवासी चाहे राजा हो।
बचत शुन्य या हो गुना 11,
लिखा झलक दो रंगा हो।
लेख धुँआ जब शनि हो मंदा,
मदद* चन्द्र गुरु करता हो। *चांदी की ठोस गोली या गुरु की पीली चीजे
शनि केतु बुध फ़ौरन उम्दा,
मंगल शुक्र घर भरता हो।
धर्म मंदिर का पापी दुनियां,
कब्र बैठा खुद तरसता हो।
गुरु हालत पर माया चलती, धुआं निशानी होता हो।
वर्षा मगर जर उस दिन होगी, शनि तख़्त गुरु उम्दा हो।
बृहस्पति के बुर्ज पर राहू के जाल का निशान। →
भावार्थ
अब राहु की चाल खाना नंबर 2 में मध्यम दर्जे की न होगी। आखिरी दर्जा होगा (नेक या बुरी) होगी।
गृहस्थ दर्जा बेहद लम्बा मगर धन - दौलत की अच्छी या बुरी हालात् का फैसला बृहस्पति पर होगा। जिसकी निशानी राहु स्वयं ही अपनी चीजे काम या सम्बन्धी राहु से सम्बंधित दृष्टि गोचर होगा। मगर धन की बरसात उस दिन होगी जब शनि नंबर एक में और गुरु भी उत्तम हो।
यदि शनिचर के अपने जाती उसूल पर या शनि नं 1 के हिसाब से उत्तम हो तो राहु का धुंआ उत्तम बरसाती बादल या आगे आने वाले अच्छे समय की निशानी होगी और शनि नं 1 या गुरु के उत्तम होते ही धन की वर्षा होगी।
शनि जाति स्वभाव से मंदा हो तो राहू के जहर का मंदा कडवा धुआं
होगा और उस धुआं से दम भी घुटता होगा।
खाना नंबर 2 वास्तव में राहू के लिये उसकी असल बैठक या गुरु
का पक्का घर है
जिसमे राहू राजा सामान है मगर वो इस घर में चलता गुरु की आज्ञा से ही है.
पापी मंदिर में भी नहीं छुपते. जिस घर की कभी चोरी न हुई हो या वह घर जिससे
चोर
कोसों दूर भागे रहे वेह भी राहू की चोरी और दिन दहाडे सीना जोरी से बरी न होगा.
जिसमे राहू राजा सामान है मगर वो इस घर में चलता गुरु की आज्ञा से ही है.
पापी मंदिर में भी नहीं छुपते. जिस घर की कभी चोरी न हुई हो या वह घर जिससे
चोर
कोसों दूर भागे रहे वेह भी राहू की चोरी और दिन दहाडे सीना जोरी से बरी न होगा.
राहु खाना नं 2 याने मंदिर में बैठा हो और उसे चुराने के लिय वहां कुछ भी न मिले तो राहु पुजारी की आँखों के सामने से और उनके पूजा करते करते ही मंदिर की मुतियाँ बाँध कर भाग जायगा। इस का अर्थ क्या हुआ? अर्थ यह है की राहु चोरो का स्वामी है। और चोरी की वाक्यात, माल या नकदी, आम होमय और वह भी जातक के सामने और वो भी दिन दहाडे। राहु का धर्म इतना ही होगा की रात को कोई नुक्सान न होगा। लेकिन दिन के समय राहु की शरारत और चोरी सरे आम होगी। अपनी जेब में संभाल कर रखी हुई धन दौलत गुम या चोरी होगी। टेवे वाले के चोर होने की शर्त नहीं है। उसके अपने पीछे चोर होगे। अब राहु की शरारत से बचने के लिए चांदी की ठोस सहायक होगी। ससुराल के मंदा हाल का बचाव होगा।
ऐसा व्यक्ति राजा या अधिकारी होगा। चाहे जंगल का ही क्यों न हो। चाहे धर्म मंदिर साधू भी क्यों न हो पर ऐसा टेवे वाला हाथिऒ को खाना देने की शक्ति रखता है।
भाग्य का लेख दो रंग होगा। भाग्य का लेख पघुडा होगा। मिटटी का सोना सोना हो और सोना मिटटी होगा। पर उत्तम जीवन होगा।
नेक हालत में शुक्र का 25 साला उम्र आयु धन के आराम का होगा।
कंगाल हो या घर छोड़ कर भागे। राज छोडे चाहे दरबार छूटे कुछ भी हो पर राजा की कैद में न होगा। मगर खैरात के जमा माल से चोरी का दाग न धो सकेगा। यानी जिस जगह लोग अपनी मुसीबत की हालत के लिये धन दौलत खैरात में दे रहे होंगे वहां उससे चोरी हो जाया करती है।
गुरु शुक्र चन्द्र जमा शनि केतु एक के बाद दूसरा चाहे मंदा होता जावे, तो भी ऐसे टेवे वाले को राहु की सबसे ऊपर सहायता होगी।
मंदी हालत
राहु के समय 42-21-10 पर अगर जद्द्दी मकान के उ-प कोने पर पूर्व की तरफ मुहँ करके रोटी पकाने धुआं निकालने की जगह हो तो टेवे वाले के ससुराल और उसके अपने घर खानदान का धुंआ निकाल देगा। 21 से 42 साला समय मंदी हालत प्रभाव देता जायगा। भाग्य का हाल ऊपर से नीचे घूमते पूंघडे की तरह होगा। मंदे वाकया, गबन चोरी धन हानि बहुत होगी। कैदखाना, बेइतबारी होगी। चन्द्र और गुरु का उपाय करे। अपने पास रखे या शारीर पर। या उ-प कोने में।
मुफतखोर पर भिक्षा कभी न देगा। अपना आखिर समय (कब्र) खराब कर लेगा। 25 साल तक उत्तम पर 26 साल से राहु 2 और केतु 8 का मंदा समय शुरू होगा।
माता से नेक सम्बन्ध उत्तम।
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