Contact J Seema Arora, Lal Kitab Astrologer

seemajagdishkumar@gmail.com
US DOLLARS PAYMENT CREDIT/DEBIT CARD OR PAY PAL ACCOUNT

Quick & easy payment in Indian Rs by Credit or Debit card or Net banking through 100% safe banking payment gateway PAY U

Sunday, 24 February 2013

Saturn (Shani) Lal Kitab

शनि  लाल किताब


 जमाने में बदकार अक्सर जो रहते, भले लोगो को बुद्धू अहमक* ही कहते।  * बेफकूफ 

पाप नैया न हरदम चलती, न ही माला गुरुकुल की। 
शनि होता न मुंसिफ* दुनिया, बेडी गरक, थी सब की।   * जज 
साथ साथी या पाप दृष्टि, पापी शनि खुद होता हो। 
लिखत केतु बुध राहु जैसी, फैसला धर्म से करता हो। 
पहले घरों में दुम केतु होते, इच्छादारी शनि होता है।
उल्ट मगर जब टेवे बैठे, अजदहा* खुनी बनता हो।        *अजगर, ड्रैगन,  
साँप शनि दुम केतु गिनते, मुखड़ा राहु खुद होता हो।  
जुल्म रवि पर ख़ुफ़िया होते, क़त्ल शनि दिन करता हो। 
पहाड़ ठण्ड गुरु कायम धरती*, वैध धनवंतरी घर गुरु हो।    * प्रोफेशन, चालाक 
जहर फूँक घर शत्रु अपनी, भला जाती* न स्वाभाव हो।        *अपना खुद की चीजो पर 
औरत हामला* पहले लडके, शनि देखे खुद अँधा हो।           *गर्भवती
बच्चे शुक्र न खुद कभी मारे, साँप बच्चे*दो खाता हो।          * शनि + मसनूई शनि     
 रवि दृष्टि शनि पे करता, बुरा शुक्र का होता हो।
शनि रवि से पहले बैठा, नर* ग्रह स्त्री उम्दा हो।                  * सूरज नहीं 
नजर शुक्र में जब शनि आता, माया दीगर खा जाता हो। 
दृष्टि शुक्र पे जब कभी करता, मदद ग्रह सब करता हो। 

शनि (नेक  स्वभाव) खाना नं १ ० की चीजो पर 

पहले घरों में               बीच के घरों में             बाद के घरों में                  प्रभाव           

शनि                            केतु                               राहु                                नेक  
शनि                            केतु                               राहु  केतु                        नेक 
केतु                             शनि                               राहु                                नेक 
केतु                             राहु                                शनि                              नेक
केतु                             केतु                               शनि राहु                       नेक 
शनि                           केतु                                राहु                               नेक   
शनि                          केतु                               राहु, केतु                        नेक
शनि केतु                   केतु                               राहु                                नेक

बाकी मंदा फल होगा। 

आम हालत 1  घर 

तीन गुणा घर पहले मंदा, दो गुणा सदा तीसरे है। 
एक गुणा घर छठे मंदा, पर मंदा नहीं सदा ही है। 
घर चौथे पे साँप पानी का, पाँचवे बच्चे खाता है। 
दुसरे घर में गुरु शरण तो, आठवें हेडक्वाटर है। 
९-७ वे घर १ २ बैठा, कलम विधाता होता है।
खाली कागज हो घर दसवे, छठे स्याही होता है। 
घर १ १ में लिखत विधाता, जन्म बच्चे का होता है। 
किस्मत का हो हरदम रक्षक, पाप स्याही धोता है। 

शराबखोरी पहली मंदी निशानी होगी। बईमानी, फिजूल खर्च सोच-विचार तबाही का कारण होगे। काग रेखा का बीज जवानी इश्क होगा। नेकी फरामोश, झूट का पुतला, अपनी जड़ कटवा देगा। मंदी हालत में शनि की चीजे (काले रंग की चीजे) से प्यार होगा।  

आम हालत : 

संन्यास, उदासी और बैराग, दुनिया छोड़ दो बाबा यह जंजाल कुछ नहीं है। दूसरी तरफ पकड़ लो सब को कोई कुछ नहीं या यह सब हमारे बैठे  क्यों उल्ट चल रहे है।   शनि के दोनों पहलू होंगे या मकान, जायदाद, चालाकी की आंख से धन कमाना यानी ३६ साल आयु। 

तमाम संसार के मकानों, इंसानों की आँखों की रौशनी और हर एक की नेकी और बड़ी के आरमो के लिखने वाले एजेंटो का (मालिक) शनि देवता जाहिरा पीर होगा। नेक हालत पर, तो बृहस्पति के घरो में बैठा हुआ, कभी बुरा असर न देगा। शनि का एजेंट केतु होगा जो उम्र की किश्ती का मल्लाह है।  

बुध (कागज) के दायरे में लिखत राहु-केतु का फैसला होग. अगर नेक तो ३७ /१९ /१० साल नेक फल। 

केतु पहले १-२-३ गिनती या दृष्टि के हिसाब से तो शनि नेक 

शनि साँप तो राहु मुहँ और केतु दुम। गुरु उत्तम तो शनि एक ठंडा हरा भरा पहाड़ खासकर जब चन्द्र भी ठीक हो । गुरु के घरो में  कुशल हकीम। 

गर्भवती स्त्री अकेले या घर में अकेले ही लडके के सामने शनि डंक नहीं मार सकता। 

शुक्र पहले घरो में और शनि को देखता हो तो शनि के कीड़ो की तरह दुसरे साथी, करीबी, सम्बन्धी, मकान तथा शनि के सामान उसका धन खाते जावे। 

दो शनि इक्कठे खास कर खाना नं ५ तो बच्चो को भी डंक मार सकता है। 

मंदी हालात के समय, मौत का फंदा, फ़क़ीर को भिक्षा देने की बजाय उस की झोली से निकाल लेना, चोर फिर भी गरीब, हर एक के आगे सवाली और फिर उसी पर चोट मारना, गन्दा आशिक, जनमुरीदी, आग की मंदी घटना। और मंदी हालत में शनि का एजेंट राहु होगा जो विष का भंडारी है। 

साथ, साथी या दृष्टि आदि से जब राहु-केतु शनि से आ मिलते हो तो शनि पापी होगा।  वर्षफल में भी जब मंदा  हो तो ३ ६ - २ ७ - १ ८ - ९  साल में जहरीली घटना, भारी हानि। चन्द्र - राहु इक्कठे या अकेले खाना १ २  में तो शनि सदा मंदा फल देगाचाहे टेवे में कैसा हो ।

२ से ज्यादा नर ग्रहों का साथ शनि काबू आ जाता है, जहर नहीं उगल सकता। पर मुकाबले दुश्मन तो शनि मंदा होता चला जाता है।  मंदे शनि के वक्त राहु-केतु शनि के दायं - बायं बैठे मंदा फल ही देगे। 

शनि की चीजो का दान बतोर खैरात जनता को देते जाना मुबारक होगा। जैसे बादाम, लोहे का सामान अंगीठी, चिमटा तवा आदि गरीबो, साधुओं को देना मदद देगा। १ ० मजदूरों को एक साथ भर पेट भोजन कराना भी नेक फल देता है। 

स्त्री ग्रहो के साथ सम्बन्ध हो जाने पर १-४-७-१०  में बैठा शनि राहु केतु का बुरा असर  देगा क्योंकि वो शनि की बुनियाद हैं। येही असूल के हिसाब से शनि अगर स्त्री ग्रहो के साथ कही भी बैठा हो और मुकाबले पर शत्रु ग्रह हो तो शनि स्त्री ग्रह को तो छोड़ देगा पर शत्रु बर्बाद होगा। 

अगर सूर्य गुप्त जुल्म करे तो दिन दहाडे मरवा देगा। 

गुरु के घरो में शनि नेक फल का पर गुरु शनि के घर में नीच फल का। मंगल शनि के घर में राजा पर शनि मंगल के खाना नं ३ में नगद माया से कंगाल करता है। 

सूर्य के खाना नं ५ में शनि बच्चे खाने वाला साँप मगर शनि के खाना नं १ १  में बैठा सूर्य उत्तम फल का होगा। चन्द्र के खाना नं ४ में शनि पानी में डूबा सांप जो अधरंग से मारे को भी ठीक कर दे पर शनि के हेडक्वाटर नं ८ में जो मंगल की मौतों का घर है, में चन्द्र नीच होगा। शुक्र ने शनि से आँख उधार ली है अतः शनि शुक्र के घर में उच्च होगा। राहु बदी का एजेंट है पर शनि राहु के खाना नं १ २ में  हरेक का भला करने वाला होगा। 

केतु नेकी का फ़रिश्ता है पर केतु के खाना नं ६ में शनि मंदे लडके और खोटे सिक्के की तरह कभी ना कभी काम आ ही जाने वाला होगा। मगर प्रायः जहरीला साँप होगा। 

शनि देखे राहु को को तो हसद से बर्बाद। राहू उल्ट चल रहा होगा मंदा होगा। राहु (नीला थोथा) देखे शनि (लोहे) को तो ताम्बा (सूरज) होगा। 
      
Let us understand it with Chemical reaction:

             Fe(s) + CuSO4(aq) --> FeSO4(aq) + Cu(s) 
         (Saturn)      (Rahu)                                    (Sun)

The above example is self explanatory and discloses many secrets of Lal Kitab.


शनि खाना नं १ में तो खाना नं ७ के ग्रह को एक आँख से देखता है 
खाना नं २  ---->  २ आँख से ८/१ २ 
३ --------------> ३ आँख से ५/९/१ १  
४ --------------> ४ आँख से २/८/१ ०/ १ १
५ --------------> अँधा साँप जब नं १ ० खाली पर नं १ ० में गुरु या केतु तो नर औलाद पर औलाद होगी और जीवित रहेगी। 
६ --------------> खाना नं २ खाली तो रात को अँधा 
७ -------------> हवा की आँखों में मिटटी डालने की शक्ति वाला सांप  खास कर खाना  नं १ में मित्र। 
८ -------------> खाना नं ३ खाली या पापी तो मौत से भरी दुष्टता वाली आँख। 
९ -------------> नं २ में मित्र तो जले हुए को हरा भरा करने वाला। 
१० ------------> २-३-४-५ चारों तरफ देखने वाला। 
१ १ ----------->  जब नं ३ में पाप या नं १ में मित्र तो मासूम आँख। 
 १ २ ---------->   बीमार को स्वस्थ, दुखिया को सुखिया करने वाला। उजडे को आबाद करने वाला जब नं २ में मित्र या शुक्र-मंगल कायाम हो।


मंदी हालत: 

राहु अगर चालान काटने वाला अधिकारी या प्रॉसिक्यूशन लॉयर तो केतु डिफेंस कौंसिल होगा। .शनि दोनों की बात को सुन कर  (जज)  फैसला देगा। 

पापी ग्रहो (राहु-केतु-शनि) ने सब गुनाहों की सजा देने के लिए अपनी पंचायत ठहरा रखी है। गुरु के खाना नं ११  में शनि अपनी माता के दूध को याद कर गुरु धर्म की कसम उठा कर राहु - केतु की जिरह सुन कर अंतिम फैसला करता है। 

  
          

 शनि लाल किताब

*******************************



No comments:

Post a Comment