मंगल लाल किताब
शस्त्र धारी
दोरंगी अच्छी ना, यक रंग होजा।
सरासर तू हो मोम, या सग* होजा। *पत्थर
दान भलाई दुनिया जितनी, नेक मंगल खुद होता हो।
तुख्म* बदी का बदला खूनी, हिस्सा मंगल बद लेता हो। *बीज, वीर्य (सीमेन), पूरा
मौत - नमानी* रास्ता तीजे, नेक मंगल जा रोकता हो। *मौत का समय - तारीख,
मारक घर ८ दुनिया लेते, जिसमे मंगल बद बैठता हो।
चन्द्र रवि की मदद जो पाता, मंगल बदी न होता हो।
माता चन्द्र से बेशक डरता, मंगलिक वही घर माता हो।
पापी कोई दो शत्रु* साथी, मंगल मंदा न होता हो। *जैसे बुध + केतु
नेक कुलों की दूर लावल्दी, बेडा गर्क बद करता हो।
आम हालात १२ घर
तेग* अदल** घर पहले जंगी, मालिक लंगर लौह दूजे हो। *सख्त, नजदीकी **न्याय, दिल,
शेर होता गर तीजे कैदी, आग समुन्दर चौथी वो।
पाँच रईसी बाप हो दादा, केतु कमी घर ६ की हो।
विष्णु पालन घर ७ वें करता, बेडी गर्क ८ भाई हो।
तख़्त बना घर ९ वें शाही, राजा होता घर १० का हो।
१ १ लेते जो भेस फकीरी, नष्ट राहु घर १ २ हो।
बुध मंदे से असर दे मंदे, शेर पले घर बकरी जो।
घर चौथे* ग्रह फैसला करते, बदी मंगल या नेकी वो। शरीर के बीच का भात्र (हिस्सा) नाभि मंगल की किरणे माना, जिनसे मंगल का रंग पता लग जायगा।
मंगल का शनि से संबंध
शनि - नेकी और बदी के फ़रिश्ते केतु और राहु दोनों हैं अत: शनि के नेक और बद दोनों और जाने का स्वाभाव है या आँखों की शक्ति स्वामी है। निष्कर्ष में सामने आए को पहचान लेना या लिखे हुए को देख कर पढ़ लेना शनि की शक्ति है। शनि तो शत्रुता नहीं करता मगर मंगल खुद ही शनि से शत्रुता करता है। मंगल के घर खाना नं ३ में शनि निर्धन कंगाल होगा।
मंगल ऐसा नेक और सीधा चलने वाला है की जब कभी इसे बुराई की तरफ जाने की उकसाहट हुई तो फिर से पीछे न हट सकेगा और अपनी सारी शक्ति बुराई की तरफ उकसाने वाले को ही दे देगा। यह नजर का स्वामी तो नहीं मगर नजर के प्रभाव का परिणाम इसका भाग है। किसी को नजर लग गई या नजर से ही किसी जगह बैठ कर सैंकड़ो मील की चीज को ख्वाब की तरह देख पाना इसकी शक्ति है। शनि के घर में मंगल राजा होगा जब अकेला मंगल या मंगल शनि १ ० में हो।
दोनों की आपसी दृष्टि के समय :
चूल्हे में जला भाग (हाथ पर चूल्हे का निशान) एक चोर फरेबी की तरह का बना देगा और शनि नं १ और मंगल नं ४ का दिया मंदा फल साथ होगा।
मंगल देखे शनि को : अब मंगल की चीजे, काम सम्बन्धी या मँगल स्वयं सिफर संतान से हीन होगा मगर शनि की चीजे काम सम्बंधित दुगना नेक और अच्छा।
शनि देखे मंगल को : दोनों डाकू एक ही असूल के मिले हुओं की भाँती दोनों ही ग्रहों का नेक और अच्छा फल होगा।
मंगल से राहु का संबंध
मंगल देखे राहु को तो राहु का बुरा असर न होगा। बाजुओं पेट या खून की खराबिओ से जिस्म के दाएँ भाग में बड़ा कष्ट हो। चन्द्र का उपाय मदद दे।
मंगल से केतु का संबंध: जब सिर्फ दोनों ही आपसी दृष्टि या मुकाबले पर आ जाए तो भाग्य के मैदान में शेर कुत्ते की लडाई की तरह भाग्य का हाल होगा। याने दोनों मंदे होगे। मंगल + केतु मुश्तरका का उपाय करे।
आम हालत :
सूर्य + बुध = नेक मँगल।
सूर्य + शनि = मँगल बद
खाना - पीना, भाई बन्धुऒ की सेवा लडाई झगडा शारीरिक दुःख बीमारी २८ साल आयु का समय मंगल है। सारे शरीर के बीच का भाग नाभि मंगल की राजधानी और सूर्य की सीधी किरणों की जगह मानी है। कुंडली की नाभि खाना नं ४ के ग्रह मंगल की नेक और बुरी हालत का पता बतायेगे यानी जैसा नं ४ में होने वाले का असर, वही हालत मंगल के खून की होगी। न सिर्फ दान इसका जरूरी पहलू और कुल दुनिया के भलाई के काम और भंडारे खोलने की हिम्मत उसकी नेकी का पता बताएगे। बल्कि कुल खानदान की लावाल्दी दूर करेगा। अकेला बैठा मंगल जंगल के शेर के समान होगा। मंगल नेक अपने असर की निशानी सदा उस ग्रह की चीजो के जरिए देगा जोकि टेवे में उत्तम हो और उस ग्रह के अपना असर देने का समय हो और मंगल बद टेवे से मंदे ग्रह की चीजो के जरिए उसके मंदा असर देने के वक्त बुरे असर की हवा अपना पहले बना देगा। हर हालत में मंगल के असर में एक साल लगातार और बीच में ढंग की रफ़्तार न होगी चाहे मंगल नेक शेर बहादुर के हमले की शक्ति का हो या मंगल बद डरपोक हिरन की तरह कोसों दूर भागता हो।
बदी का तुख्म (बीज), खून का बदला खून से लेना हरदम जरूरी और जब घी (शुक्र) और शहद (मंगल) बराबर के हो तो जहर मंगल बद होगा यानी टेवे में सबसे पहले शुक्र और उसके बाद सूरज का फल एक के बाद एक दुसरे के मंदा होगा लेकिन अगर सूरज या चन्द्र की मदद मिल जाए तो मंगल बद न होगा (खाना नं ४ में देखे) कोई दो पापी (शनि-रा-के ) या कोई दो शत्रु आपस में बुध केतु सूरज शुक्र मंगल के साथी ग्रह हो तो मंगल बद न होगा। जब अपनी मार पर आयगा तो एक का बुरा न करेगा बल्कि अगर हो सके तो कुल खानदान का ही बेडा गर्क करेगा। जब बुध मंदा हो तो मंगल बद होगा और खूनी शेर बहादुर की बजाय बकरियो में रहने वाले पालतू शेर की तरह अपनी असलियत से बेखबर होगा।
कयाफा: दो रेखा त्रिकोण या द्वीप की तरह मंगल बद या मंगल के बुरे प्रभाव की निशानी होगी। सिर रेखा को अपनी कुदरती हालत अगर आखिर तक बढ़ाय तो मंगल मंदे के घर या खाना नं ८ की हदबंदी खाना नं ६ में जुदा ही हो जायगी शुक्र के बुर्ज नं ७ के उत्तरी हदबंदी की लकीर गर और आगे बढ़ाय तो नं ८ का दक्षिण मिलेगा या यु कहे की स्वास्थ्य रेखा मंगल बद खाना नं ८ का पूर्व होगा।
मंगल के अपने भाई बन्धु
मंगल नं १ : इन्साफ की तलवार। छोटे भाईओं की शर्त नहीं मगर अकेला भाई न होगा।
मंगल नं २ : दुसरे के लिए पालन योग। खुद बड़ा भाई होगा।
मंगल नं ३: चिड़िया घर का कैदी शेर जिसे अपपनी ताकत का पता न हो। बहन - भाई जरूर होगे मंगल की उम्र और बुध बैठा होने वाले की खाने की अपनी गिनती के बराबर ७ या १४ साल आयु के बाद तीन भाई।
मंगल खाना नं ४ : भाई की स्त्री धनी अपनी माँ, नानी सास सब पर मौत तक भारी। आप बेशक जन्म से छोटा हो पर टेवे वाला मंगल की उम्र तक खुद बड़ा भाई हो जायगा। वर्ना बड़ा भाई लावल्द या मंदी सेहत का स्वामी।
मंगल नं ५: अगर मंगल नेक तो रईसों का बाप दादा लेकिन मंगल बद तो आँखों से ही तबाही करता जाए। खाना नं ३ में अगर नर ग्रह तो ४ भाई, स्त्री ग्रह तो ३ भाई, पापी तो ५ और बुध अकेला तो २ भाई।
मंगल नं ६: साधू सन्यासी के स्वभाव का स्वामी जो खुद अपनी आप ही मारे। एक अकेला ही धर्मवीर होगा।
मंगल नं ७: विष्णु जी। भाई की औलाद की पालना नेक। मच्छ रेखा या लावाल्दी जब बुध का साथ।
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मंगल नं ८ : मौत का फंदा। ४-८-१ ३ बल्कि १ ५ साला आयु के बाद दुसरा भाई बल्कि कई बार तो एक अकेला ही रह जाए।
मंगल नं ९ : तख़्त शाही खजाना भाई की स्त्री की सेवा और ताबेदारी मंगल की नीव होगी। जितने बाबे उतने भाई।
मंगल नं १ ०: शनि उत्तम तो राजा की भांति जो भाई को सहायक। जितने ताये चाचे उतने ही स्वयं भाई वर्ना मच्छ रेखा।
मंगल नं १ १ : फकीरी में जो बुध और शनि की नक़ल करेगा यानी जैसा बुध शनि टेवे में। फैसला गुरु पर होगा। गुरु १ से १ ० तक तो ९ भाई तक हो सकते है जब गुरु १ १ में हो तो २ भाई, गुरु १ २ में हो तो अकेला भाई या एक और वेह भी कम सुखी।
मंगल नं १२ : गुरु चरणों का ध्यान रखने वाला। सर जाए मगर धर्म न जाए। बड़ा भाई टेवे वाले के जन्म से पहले होगा पर जिन्दा न रहने देगा। स्त्री के टेवे में शर्त नहीं।
मंगल लाल किताब
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