गुरु बृहस्पति लाल किताब
केतु से सम्बन्ध
जब दोनों जुदा जुदा हो और केतु पहले घरो में तो गुरु मंदा होगा। अगर उल्ट हो तो दोनों के बजाय चन्द्र का फल रद्दी होगा।
बुध से सम्बन्ध
गुरु के साथ या गुरु की दृष्टी में बुध हो तो गुरु का नाश होगा। परन्तु २/४ में अकेला बुध या गुरु के साथ तो अच्छा प्रभाव होगा। खासकर माली हालत।
बुध गर बाद के घरो में तो ३ साल उनर तक गुरु का फल अच्छा और ३५ साल से बुध का मंदा प्रभाव शुरू होगा।
बुध गर पहले घरो में तो बुध ३४ साल तक अच्छा और गुरु ३४ साल तक मंदा होगा। बुध - गुरु आपस देख रहे हो तो गुरु का असर मंदा ही होगा। गुरु को बुध अपने चक्कर में बांध लेगा। ऐसी हालत में गुरु का बिगड़ा असर निम्नलिखित हालत पैदा होने पर ठीक होगा :
जब गुरु वर्षफल में शनि के घर १० / ११ या नं ५ में आ जाय। या शनि सूर्य में से कोई २,५,९,१२ में आ जाय या शनि नं ५ में और सूर्य २,५,९,१२ में आ जाय। ऊपर कही हालत में सूर्य चन्द्र शनि में से कोई शुभ हो तो गुरु का प्रभाव नेक होगा वर्ना बिना मतलब तबाह करने वाली कहानिओ में रात गुजरता होगा।
गुरु बृहस्पति लाल किताब
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