सूर्य लाल किताब
सूर्य दुनियावी राजा - जातक के जिस्म और का असर
खाना नं १
पिता की पूरी सहायता, बेटे से आशा न करेगा। बाप से चाहे धन मिले न मिले पर संतान को अवश्य धन देकर जाएगा। राजा होगा जिसे सिवाय न्याय के और कोई सम्बन्ध (धर्म आदि से) न होगा। हुकूमत गर्म की दुकानदारी नर्म की तबियत शुभ होगी। पर रहम से भरा होगा।
खाना नं २
मंदिर की ज्योति जो किसी मजहब के अनुसार दबी नहीं है। धर्म देवता, माली हालत मध्यम, स्वभाव सतयुगी, छोटी जगह का राजा जो अपने भाग्य की शर्त नहीं करता मगर साथियो, बच्चो, सम्बंधियो को जरूर धनवान कर देता है। चाहे अपने आप निर्धन दरवेश ही क्यों न हो। सेवा साधन उन्नति की नीव होगा।
खाना नं ३
मृत्यु को रोकने तक की शक्ति वाला जिससे मृत्यु भी डरे। खुद हलवा पूरी खाए दुसरो को भी खिलाए। जो शुभ कार्य कर दिखलाएगा, झुटे को काट खाएगा। बुध जो इस घर का स्वामी है अपने जंगल को इतना घना कर देगा की सूर्य नं ३ की जमीन तक धूप ही न आने पाए। मगर सूर्य की अपनी गर्मी से जंगल को ही आग तक लगने को तैयार होगी। या तो जंगल में हरियाली हो या बुध हरे रंग की बजाय खाकी रंग हो जाए। मगर ऐसा व्यक्ति यदि दुसरो को पालेगा तो स्वयं भी पलता जायगा नहीं तो जल कर मर जाएगा।
मृत्यु को रोकने तक की शक्ति वाला जिससे मृत्यु भी डरे। खुद हलवा पूरी खाए दुसरो को भी खिलाए। जो शुभ कार्य कर दिखलाएगा, झुटे को काट खाएगा। बुध जो इस घर का स्वामी है अपने जंगल को इतना घना कर देगा की सूर्य नं ३ की जमीन तक धूप ही न आने पाए। मगर सूर्य की अपनी गर्मी से जंगल को ही आग तक लगने को तैयार होगी। या तो जंगल में हरियाली हो या बुध हरे रंग की बजाय खाकी रंग हो जाए। मगर ऐसा व्यक्ति यदि दुसरो को पालेगा तो स्वयं भी पलता जायगा नहीं तो जल कर मर जाएगा।
खाना नं ४
राजा के घर जन्म ले या न ले परन्तु स्वयं राजा अवश्य होगा। आप ने चाहे जन्म से पैसा न परन्तु संतान को रेशम के कीडे की तरह पैसा खर्चने की शक्ति दे जायगा। माता जीवित हो न हो मगर बाप की तरफ से हो है कि माताएँ अवश्य हों पर स्वयं चाल-चलन होगा। ऐसा व्यक्ति स्वयं चाहे हानि उठा ले दुसरे की हानि नहीं करेगा। यदि पराई स्त्री को साथरखे रखे तो संतान न पावे या निसंतान होगा। अगर दान देगा तो मोती देगा।
राजा के घर जन्म ले या न ले परन्तु स्वयं राजा अवश्य होगा। आप ने चाहे जन्म से पैसा न परन्तु संतान को रेशम के कीडे की तरह पैसा खर्चने की शक्ति दे जायगा। माता जीवित हो न हो मगर बाप की तरफ से हो है कि माताएँ अवश्य हों पर स्वयं चाल-चलन होगा। ऐसा व्यक्ति स्वयं चाहे हानि उठा ले दुसरे की हानि नहीं करेगा। यदि पराई स्त्री को साथरखे रखे तो संतान न पावे या निसंतान होगा। अगर दान देगा तो मोती देगा।
खाना नं ५
मनुष्य की शराफत और दुनयावी मर्यादा से भरा राजा जो अपने परिवारिक खून को अपना मंदिर बना लेगा। जन्म से ही भाग्य का जलता दिया होगा। जो किसी के जलाने से न जलेगा यानी जन्म से भाग्य का स्वामी होगा। आयु के साथ साथ धन भी बढेगा। उसके खर्च किए धन से संतान के लिए धन अनाज के रास्ता खुल जायगे, मालामाल होगा। मनुष्यों में कोई बन्दर नहीं, बंधे हुए व्यक्तिओ, बंदरो को आजाद करवाने का हामी होगा। .
मनुष्य की शराफत और दुनयावी मर्यादा से भरा राजा जो अपने परिवारिक खून को अपना मंदिर बना लेगा। जन्म से ही भाग्य का जलता दिया होगा। जो किसी के जलाने से न जलेगा यानी जन्म से भाग्य का स्वामी होगा। आयु के साथ साथ धन भी बढेगा। उसके खर्च किए धन से संतान के लिए धन अनाज के रास्ता खुल जायगे, मालामाल होगा। मनुष्यों में कोई बन्दर नहीं, बंधे हुए व्यक्तिओ, बंदरो को आजाद करवाने का हामी होगा। .
खाना नं ६
आसमान तो गर्म, सूर्य की गर्मी से जमीन भी जलने लगी जिसकी आँच रात को भी को भी ठंडी न हुई। बेवकूफ शाह तीस मारखां। खेत में कनक के बीज जलने लगे ऐसी हालत में वाही बचा जिसने अपने घर पानी की जगह धुध दिया, और बुरा करने वाले को भी आशीष दी। ऐसा आदमी जिद पर आया हुआ वैसा ही होगा जैसा कि एक देश से निकल हुआ राजा अपनी प्रजा को आग की लपटों में जलता हुआ देख कर रोने की बजाय हंस देगा। चाहे वेह स्वयं निसंतान या मंद बूढी न होगा। ऐसा व्यक्ति कभी मन और वाणी से गन्दा न होगा। चाहे उसे भाग्य का लाख मुकाबला करना पडे।
खाना नं ७ :
ऐसे व्यक्ति के पैदा होने पर ऐसा लगेगा कि घर का सूर्य पैदा हुआ है। परन्तु चढते - चढते वह दुमदार तारा बन जाएगा। उसने सब कुछ समझ और नेक बुद्धि से किया मगर जब उसने स्वयं हौसला किया तो सारा जलने से आधा ही बचा लिया। अंत में जब जिम्मेदारी उसने ख़ुशी से संभाली तो सुख की रोटी मिलने लगी और साथ वाले भी आबाद हुए। राजदरबार का साथ मिला, खेती पकी मगर अनाज से जले की बू आने लगी यानि ऐसा राज होगा जिसकी ताज गुम हो गई हो अर्थार्थ सब खुच होते है भी कुछ न होगा। बेशक राजगद्दी पर जन्म लेकर भी गद्दी पर न बैठ पाए। हाकमी गर्मी की, दूकान नरमी का हामी होना ठीक रहेगा। अगर कोई जला देवे हम भी उसे जलना सिखाएगे मगर खुद न जलेगे।
खाना नं ८ : ऐसा व्यक्ति जन्म से ही कहने लगेगा, मरने वाले पूछ कर मरे, जन्म लेने वालो पर कोई बंधन नहीं है। जो आए अपना खर्च साथ लाए और जाने वाला कोई चीज साथ लेकर न जाए। जन्म चाहे का हो मगर गुरु गद्दी / राजा गद्दी का स्वामी होगा। उसको कोई नहीं हटाएगा मगर अपने हाथो से हारा भाग्य वापिस न पाएगा। यानि भंडारे रहे तो भंडारे भरे परन्तु भिक्षु बने तो भिक्षा ना पाए। जब तक अपने खानदानी खून पर हमला न करेगा, बर्बाद न होगा। मर गए का अफ़सोस तो है मगर जीवित करने की भी हमारी जिम्मेदारी है का स्वभाव और शक्ति रखेगा।
खाना नं ९ :
हकीमो को बिना दवाई ठीक करने की हिम्मत देने वाला। शाह और स्वयं भी बड़ा हकीम, डॉक्टर। अपने के अलावा अपने साथ सभी को पालेगा। "पिछली को छोड़ और आगे को न घबरा- लकिन संसार का सूर्य तेरे साथ चल रहा है" की भांति कार्य करने वाला होगा।
आसमान तो गर्म, सूर्य की गर्मी से जमीन भी जलने लगी जिसकी आँच रात को भी को भी ठंडी न हुई। बेवकूफ शाह तीस मारखां। खेत में कनक के बीज जलने लगे ऐसी हालत में वाही बचा जिसने अपने घर पानी की जगह धुध दिया, और बुरा करने वाले को भी आशीष दी। ऐसा आदमी जिद पर आया हुआ वैसा ही होगा जैसा कि एक देश से निकल हुआ राजा अपनी प्रजा को आग की लपटों में जलता हुआ देख कर रोने की बजाय हंस देगा। चाहे वेह स्वयं निसंतान या मंद बूढी न होगा। ऐसा व्यक्ति कभी मन और वाणी से गन्दा न होगा। चाहे उसे भाग्य का लाख मुकाबला करना पडे।
खाना नं ७ :
ऐसे व्यक्ति के पैदा होने पर ऐसा लगेगा कि घर का सूर्य पैदा हुआ है। परन्तु चढते - चढते वह दुमदार तारा बन जाएगा। उसने सब कुछ समझ और नेक बुद्धि से किया मगर जब उसने स्वयं हौसला किया तो सारा जलने से आधा ही बचा लिया। अंत में जब जिम्मेदारी उसने ख़ुशी से संभाली तो सुख की रोटी मिलने लगी और साथ वाले भी आबाद हुए। राजदरबार का साथ मिला, खेती पकी मगर अनाज से जले की बू आने लगी यानि ऐसा राज होगा जिसकी ताज गुम हो गई हो अर्थार्थ सब खुच होते है भी कुछ न होगा। बेशक राजगद्दी पर जन्म लेकर भी गद्दी पर न बैठ पाए। हाकमी गर्मी की, दूकान नरमी का हामी होना ठीक रहेगा। अगर कोई जला देवे हम भी उसे जलना सिखाएगे मगर खुद न जलेगे।
खाना नं ८ : ऐसा व्यक्ति जन्म से ही कहने लगेगा, मरने वाले पूछ कर मरे, जन्म लेने वालो पर कोई बंधन नहीं है। जो आए अपना खर्च साथ लाए और जाने वाला कोई चीज साथ लेकर न जाए। जन्म चाहे का हो मगर गुरु गद्दी / राजा गद्दी का स्वामी होगा। उसको कोई नहीं हटाएगा मगर अपने हाथो से हारा भाग्य वापिस न पाएगा। यानि भंडारे रहे तो भंडारे भरे परन्तु भिक्षु बने तो भिक्षा ना पाए। जब तक अपने खानदानी खून पर हमला न करेगा, बर्बाद न होगा। मर गए का अफ़सोस तो है मगर जीवित करने की भी हमारी जिम्मेदारी है का स्वभाव और शक्ति रखेगा।
खाना नं ९ :
हकीमो को बिना दवाई ठीक करने की हिम्मत देने वाला। शाह और स्वयं भी बड़ा हकीम, डॉक्टर। अपने के अलावा अपने साथ सभी को पालेगा। "पिछली को छोड़ और आगे को न घबरा- लकिन संसार का सूर्य तेरे साथ चल रहा है" की भांति कार्य करने वाला होगा।
खाना नं १०
पैसा तो खरा है मगर बाजार में कोई उसका सौदा नहीं देगा। संसार उसके सच्चे होने पर उससे डरता है। असली बची आग को भूत-प्रेत की आग समझती दुनिया है। फ्हिर भी राज घमंडी गुस्से वाला दूसरों को माफ़ करना तो एक तरफ अपने माँ-बाप को भी फांसी का हुक्म लिख देगा। नाक पर मक्खी नहीं बैठने देगा। जब तक रहेगे, झुक कर नहीं रहेगे। जब झुकना पड़ा तो हम नहीं रहेगे अगर रहेगे तो सिर्फ उसी के साथ जो हम प्याला हम निवाला हो, की प्रवृत्त्ति वाला ।
दिखाने को सच्चा मगर दिल से झूठा होने की बदमाशी अगर नहीं देखी तो वह कर दिखाएगा।
खाना नं ११
गो लालची मगर धर्म तपस्वी होगा यदि कोई धर्म बेचकर खाएगा तो हमारा क्या खाएगा, के विचार बुलंद स्वामी, जिस तरह नेकी बढे बढ़ता चले. लेकिन जब स्वयं रोटी (कनक सूर्य) के साथ मॉस (शनि) मिला कर खाए तो सूर्य शनि के झगडे में केतु (नर संतान) बर्बाद हो परन्तु परिवार में ऐसा व्यक्ति आप चाहे किसी भी खून से हो "हम नेकी ही कर दिखाएगे" का पक्का देवता होगा।
खाना नं १२
सुख की नींद सोने वाला बेफिकर राज ऐसा जिसके राज्य में बन्दर भी घर बनाना सीखे लेकिन जब धर्म हानि का आदी हो तो अंधी देवी नाक कटे पुजारी, दिन दहाडे चोरी की घटनाएँ। बेआराम जीवन जिसके ले साधू की सेवा, शुक्र की पालना सहायक होगी। सुबह की मीठी हवा का जमाना न भी हो और अगर जले भी तो आकाश का सूर्य मंदा ज़माना न रहने देगा।
उसके चारो ओर जितनी भी आफते (मौसम) हो मगर वह बर्बादी (पतझड़) न देखेगा और न ही निर्धन और संतान रहित होगा।
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सूर्य लाल किताब
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